उत्तर प्रदेश का नया धर्म परिवर्तन विधेयक: सजा और जुर्माना बढ़ाने के सख्त प्रावधान, जानिए क्या बदल रहा है

Date: 2024-07-30 08:40:20

उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन से संबंधित कानून को और अधिक सख्त बनाने के लिए एक नया विधेयक पेश किया है।

उत्तर प्रदेश का नया धर्म परिवर्तन विधेयक: सजा और जुर्माना बढ़ाने के सख्त प्रावधान, जानिए क्या बदल रहा है

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन से संबंधित कानून को और अधिक सख्त बनाने के लिए एक नया विधेयक पेश किया है। यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 में प्रस्तावित संशोधनों के तहत, सजा और जुर्माने के प्रावधानों को बढ़ाने की योजना है। यह विधेयक मौजूदा कानून के प्रावधानों को और अधिक कठोर बनाना चाहता है, जिसमें अवैध धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए नए और सख्त नियम शामिल हैं।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान और बदलाव:

  1. सजा की अवधि:

    • धर्म परिवर्तन के इरादे से बल प्रयोग: जो कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन कराने के इरादे से किसी को डराता है, हमला करता है, बल प्रयोग करता है, या विवाह का वादा करता है, उसे कम से कम 20 वर्षों के कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
    • विदेशी या अवैध संस्था से धन प्राप्ति: जो कोई अवैध धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी या अवैध संस्था से धन प्राप्त करता है, उसे कम से कम सात वर्षों के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 14 वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा।
  2. जुर्माना:

    • पीड़ित को मुआवज़ा: धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपये तक का मुआवज़ा दिया जाएगा, जो जुर्माने के अतिरिक्त होगा।
    • विदेशी धन प्राप्ति: अवैध धर्म परिवर्तन के लिए विदेशी धन प्राप्त करने पर न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
  3. विशेष प्रावधान:

    • नाबालिग, विकलांग, मानसिक रूप से विकलांग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति: इन श्रेणियों के लिए प्रावधानों के उल्लंघन पर 14 साल तक के कठोर कारावास का प्रावधान है और कम से कम 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। मौजूदा अधिनियम में इस श्रेणी के लिए 10 साल तक की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना था।
  4. शिकायत दर्ज करने की अनुमति:

    • विधेयक के तहत किसी भी व्यक्ति को अवैध धर्म परिवर्तन के मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति होगी, जबकि पहले यह अधिकार पीड़ित व्यक्ति, उनके परिवार या विवाह से संबंधित किसी व्यक्ति तक सीमित था।

विधेयक के उद्देश्यों और तर्क: विधेयक में कहा गया है कि मौजूदा अधिनियम की सजा और जुर्माना प्रावधान नाबालिगों, विकलांग व्यक्तियों, महिलाओं और अनुसूचित जातियों के खिलाफ धर्म परिवर्तन को रोकने में पर्याप्त नहीं हैं। इसके साथ ही, विदेशी और राष्ट्र विरोधी तत्वों के संभावित हस्तक्षेप को ध्यान में रखते हुए, कानून को और सख्त बनाने की आवश्यकता महसूस की गई है।

भारतीय समाज और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: इस विधेयक पर विचार करते समय यह महत्वपूर्ण है कि समाज के विभिन्न वर्गों और विशेषकर धार्मिक संवेदनाओं का भी ध्यान रखा जाए। कानून को लागू करने में सटीकता और निष्पक्षता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार के भेदभाव या अत्याचार से बचा जा सके।

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