पटवारी आंदोलन: कल से काली पट्टी में करेंगे काम, संसाधनों की मांग पर अड़े

Date: 2024-12-08 18:31:24

छत्तीसगढ़ के पटवारी आवश्यक संसाधन और भत्ता न मिलने से नाराज, 9 दिसंबर से काली पट्टी लगाकर करेंगे काम। 15 दिसंबर के बाद ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार और 16 दिसंबर से वॉट्सएप ग्रुप छोड़ने का एलान।

पटवारी आंदोलन: कल से काली पट्टी में करेंगे काम, संसाधनों की मांग पर अड़े

रायपुर।
छत्तीसगढ़ के पटवारी एक बार फिर सरकार से नाराज होकर आंदोलन की राह पर हैं। इस बार वे आवश्यक संसाधनों की कमी को लेकर विरोध कर रहे हैं। 9 दिसंबर से पटवारी काली पट्टी लगाकर काम करेंगे और सरकार से अपनी मांगों को लेकर अड़े रहेंगे।

साप्ताहिक प्रदर्शन की योजना:
पटवारी संघ ने निर्णय लिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे हर सोमवार को काले कपड़े पहनकर कार्य करेंगे। यदि 15 दिसंबर तक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे सभी प्रकार के ऑनलाइन कार्यों और ट्रेनिंग का बहिष्कार करेंगे। 16 दिसंबर से सभी वॉट्सएप ग्रुप छोड़ने का भी एलान किया गया है।

संघ की मांगें और समस्याएं:
राजस्व पटवारी संघ की प्रांतीय बैठक रायपुर में आयोजित हुई, जिसमें सभी जिलाध्यक्ष और प्रांतीय कार्यकारिणी ने ऑनलाइन कार्यों में आ रही समस्याओं पर चर्चा की। वर्तमान में राजस्व संबंधी सभी कार्य ऑनलाइन माध्यम से किए जा रहे हैं। इनमें कृषि संगणना, फसल कटाई प्रयोग, और अन्य कार्य शामिल हैं।

संघ ने बताया कि इन कार्यों को संपादित करने के लिए न तो सरकारी उपकरण दिए गए हैं और न ही किसी प्रकार का संसाधन भत्ता उपलब्ध कराया गया है। पटवारी निजी उपकरण या किराए पर लिए गए संसाधनों का उपयोग करने को मजबूर हैं, जो उनके लिए आर्थिक रूप से कठिनाई पैदा कर रहा है।

शासन को दी चेतावनी:
संघ ने शासन को चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो 16 दिसंबर से सभी ऑनलाइन कार्यों का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि इस स्थिति में उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या की जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।

पटवारी संघ का बयान:
संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार से उनकी केवल यही अपेक्षा है कि उन्हें उनकी भूमिका के अनुसार संसाधन और भत्ता प्रदान किया जाए।

सरकार पर सवाल:
पटवारियों का यह विरोध एक बार फिर सरकार की राजस्व व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। ऑनलाइन कार्य प्रणाली को लागू करने के बाद भी पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था न करना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।

निष्कर्ष:

पटवारियों का यह आंदोलन अगर लंबा चलता है, तो इसका सीधा असर छत्तीसगढ़ की राजस्व व्यवस्था और कृषि कार्यों पर पड़ेगा। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने होंगे ताकि स्थिति बिगड़े नहीं और जनता को असुविधा से बचाया जा सके।


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