नेशनल होम्योपैथी सेमिनार में उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने होम्योपैथी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह बिना साइड इफेक्ट के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर रोगों को ठीक करने में सक्षम है।
रायपुर। नेशनल होम्योपैथी सेमिनार का आयोजन रायपुर के सिंधु पैलेस में किया गया, जहां उपमुख्यमंत्री अरुण साव और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने होम्योपैथी चिकित्सा के महत्व और इसके प्रभावी उपयोग पर विचार साझा किए। इस कार्यक्रम का आयोजन होम्योपैथी रिसर्च एवं डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा किया गया।
सेमिनार के मुख्य बिंदु:
होम्योपैथी का महत्व:
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, "होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बिना किसी साइड इफेक्ट के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और सस्ते में प्रभावी इलाज प्रदान करती है। इसे प्रचारित और प्रसारित करने की आवश्यकता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें।"
रिसर्च सेंटर और मेडिकल कॉलेज:
साव ने छत्तीसगढ़ में एक उन्नत होम्योपैथी रिसर्च सेंटर और मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के प्रयासों का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "देश के अच्छे रिसर्च और मेडिकल संस्थानों का अध्ययन करके छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही उत्कृष्ट संस्थान स्थापित किया जाएगा।"
होम्योपैथी के प्रति भ्रांतियों का समाधान:
साव ने कहा कि लोगों में यह गलत धारणा है कि होम्योपैथी धीमे असर करती है। उन्होंने इसे गलत साबित करते हुए कहा कि होम्योपैथी लंबे समय तक प्रभावी रहती है और इसकी चिकित्सा प्रणाली रोगों को जड़ से समाप्त करती है।
स्वास्थ्य मंत्री का वक्तव्य:
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने होम्योपैथी की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा, "एलोपैथी और नैचुरोपैथी की तरह होम्योपैथी का भी अपना विशिष्ट महत्व है। यह तात्कालिक और दीर्घकालिक लाभ देने में सक्षम है।"
उन्होंने प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और विस्तार को प्राथमिकता देने की बात कही। जायसवाल ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।
सेमिनार में उपस्थिति:
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञ, एसोसिएशन के पदाधिकारी, और आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रदीप के. पात्रा, डॉ. जेपी शर्मा, डॉ. सुशील हरी रमानी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जोर:
अरुण साव ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और इसकी ऐतिहासिक पहचान को उजागर करते हुए कहा कि यह भगवान राम का ननिहाल और माता कौशल्या की धरती है। यहां की ईमानदारी और मेहनती लोग इस क्षेत्र को अलग पहचान दिलाते हैं।
निष्कर्ष:
नेशनल होम्योपैथी सेमिनार ने न केवल होम्योपैथी चिकित्सा के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाने और छत्तीसगढ़ में इसकी उन्नति के लिए नए प्रयासों की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त किया।